होली उत्सव, होलाष्टक, होलिका दहन तिथि २०२०

बुरा-ना-मानो-होली-है

होली उत्सव

होली उत्सव, होलाष्टक, होलिका दहन तिथि २०२०
(९ मार्च २०२०, १० मार्च २०२०)

होलीअ जो डि॒णु, धूड़ियो


होली उत्सव
होली, होली उत्सव, होलिका दहन, होलिका मंगलाना, धूलिवन्दन, छारेंडी पर्व,​ होलाष्टक,
होलाष्टक प्रारम्भ्, होलाष्टक समाप्त सम्वत् २०७६ शाके १९४१ में कब है भारत, हाँगकाँग एवम् और देशों में?

होली उत्सव
सम्वत् २०७६
होली
होलिका दहन धूलिवन्दन
सोमवार​ ९ मार्च २०२० होलाष्टक होलिका दहन होलिका मंगलाना
मंगलवार १० मार्च २०२० रंग​ की होली, धूलिवन्दन, धूलेंडी उत्सव है ।

होली, यह रंगों का त्योहार है ।
प्रेम, आनंद उल्लास का प्रतीक है ।
होलिका की विधिवत पूजा होती है ।
एक दिन पहले होलिकादहन किया जाता है ।
इसवर्ष होलाष्टक-होलिका दहन मार्च को है ।

होला और अष्टक : होली से पूर्व के आठ दिन ।
फाल्गुनशुक्ल अष्टमीतिथि से लेकर होलिका दहन ।
अर्थात पूर्णिमा तिथि तक होलाष्टक मनाया जायेगा ।
रंग​ की होली मंगल १० मार्च २०२० को मनाई जायेगी ।
यह उत्सव पारंपरिक रूप से – दो दिन मनाया जाता है ।
इस पर्व-उत्सव को छोटी होली और बड़ी होली भी कहते हैं ।

होली का उत्सव (होली पर्व – त्योहार) भारतीय मुख्य​ उत्सवहै ।
फाल्गुन मास में मनाए जाने के कारण होली उत्सव को फाल्गुनी भी कहते हैं ।
वसंतोत्सव वसंतऋतु में फाल्गुन पूर्णिमा-तिथि के दिन मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण उत्सव है ।
पहला दिन होलिका दहन किया जाता है, उसके दूसरे दिन रंग खेले जाते हैं । छोटेब​ड़े सभी मिलकर मनाते हैं ।
एक दूसरे को गुलाल लगाते हैं । ढोल-मंजीरों नाच-गान, संगीत और रंगों की फुहार होती है । मिठाई आदि खाते हैं ।
ईर्ष्या-द्वेष की भावना भुलाकर प्रेमपूर्वक, आनंद, उल्लाससे एक दूसरे से गले मिलते हैं तथा एक-दूसरे को रंग लगाते हैं ।
प्राचीनकालकी होली पानी-गुलाब​जल​, टेसु-जल​, चन्दन, फूल-धूल​-मिटटी, गुलाल-अबीर​, प्राकृतिक रंगोंवाली होली है ।
रंगहोली दोपहरको नहाते हैं और शामको नए-नए वस्त्र पहनकर सबसे मिलने जाते हैं एवं एक-दूसरे पर​ गुलाल लगाते हैं।
शामको शुभ मुहूर्त पर होलिका का दहन किया जाता है । घरों में जो बनता है होलिका में उसका भोग लगाया जाता है ।
और उसको खाया जाता है । सत्य की जय का एवं बुराइयों पर अच्छाईयों की विजय का प्रतीक है होलिका का दहन ।

धार्मिक शास्त्रों के अनुसार होलिका दहन शुभ समय में किया जाता है ।
इसीलिए होलिका दहन का मुहूर्त महत्त्वपूर्ण होता है ।
भद्रा एवं प्रदोष को विषेश ध्यान में रखा जाता है ।
बच्चे होली खेलते हैं पिचकारियों से रंग छोड़कर ।


होली और होलिका की कथा

हिरण्यकशिपु ने आदेश दिया होलिका को कि प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठे ।
परन्तु आग में बैठने पर होलिका तो आग में जलकर भस्म हो गई, परन्तु प्रह्लाद को कुछ नहीं हुआ ।
भक्त और भगवान की जय ! भक्त प्रह्लाद की जय !

tesu flowerहोलीअ जो डि॒णु, धूड़ियो ऐं होलिका बा॒रणु कड॒हिं आहे सम्वत् २०७६ शाके १९४१ में वर्ष २०२०?

होलीअ जो डि॒णु, धूड़ियो ऐं होलिका बा॒रणु सम्वत् २०७६ में (वर्ष २०२०) में कड॒हिं आहे, हेठ डि॒नलु आहे:-

२ मार्च खां अष्टमी तिथि (अष्टक शुरु) थींदो ।
९ मार्च २०२० ते होलाष्टक पूरो थींदो ।
ऐं धूड़ियो १० मार्च २०२० ते आहे ।

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