महाशिवरात्रि उत्सव २०२४-२०३०
शिवरात्रि वह रात्रि है जिसका शिव से संबंध है ।
महाशिवरात्रि एक प्रमुख त्योहार है ।
फाल्गुनकृष्णचतुर्दश्यामादिदेवो महानिशि।
शिवलिंगतयोद्भूत: कोटिसूर्यसमप्रभ:॥
सभी मास (महीने) के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी ‘शिवरात्रि’ कही जाती है,
परन्तु (फाल्गुन कृष्ण पक्ष) की चतुर्दशी तिथी सबसे महत्त्वपूर्ण है और यह महाशिवरात्रि कहलाती है। शिवरात्रि पर्व मनाया जाता है। इस चतुर्दशी को शिवपूजा करने से जीव को अभीष्ट की प्राप्ति होती है। निराकार से साकार रूप में अवतरण की रात्रि है।
महाशिवरात्रि पर रुद्राभिषेक का बहुत महत्त्व है।
पत्ता-फूल अथवा अंजलि भर जल चढ़ाकर भी प्रभू को प्रसन्न किया जा सकता है।
पौराणिक कथाएँ
महाशिवरात्रि के महत्त्व से संबंधित तीन कथाएँ इस पर्व से जुड़ी हैं:-
मत है कि आज ही के दिन शिवजी और माता पार्वती (आदि शक्ति) विवाह–सूत्र में बंधे थे जबकि अन्य कुछ विद्वान् ऐसा मानते हैं कि आज के ही दिन शिवजी ने ‘कालकूट’ नाम का विष पिया था जो सागरमंथन के समय अमृत से पहले समुद्र से निकला था | समुद्रमंथन देवताओं और असुरों ने अमृत-प्राप्ति के लिए मिलकर किया था |
“शिव पुराण” में एक शिकारी पर शिव कृपा की कथा भी इस त्यौहार के साथ जुड़ी हुई है |
ईशान संहिता : जीवन भौतिक आकार-प्रकार से कहीं अधिक है।
फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी की रात्रिमें आदिदेव भगवान शिव करोडों सूर्यों के समान
प्रभाववाले लिंग रूपमें प्रकट हुए ।
द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्रम् लघु स्तोत्रम् – आदि शंकराचार्य
सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम् । उज्जयिन्यां महाकालमोङ्कारममलेश्वरम् ॥
परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशङ्करम् । सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने ॥
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे । हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये ॥
एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः । सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति ॥
द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्रम् सम्पूर्णम्
॥ श्री शिवमहिम्नस्तोत्रम् ॥
पुष्पदन्त
अकाण्ड-ब्रह्माण्ड-क्षयचकित-देवासुरकृपा
विधेयस्याऽऽसीद् यस्त्रिनयन विषं संहृतवतः ।
स कल्माषः कण्ठे तव न कुरुते न श्रियमहो
विकारोऽपि श्लाघ्यो भुवन-भय-भङ्ग-व्यसनिनः॥ १४॥
विष के प्रभाव से कंठ नीला हो गया । नीलकंठ, की यह स्थिति भी शोभा ही बढ़ाती है । आपने संसार रक्षार्थ विषपान कर लिया ।
‘महाशिवरात्रि’ पूजा ‘महाशिवरात्रि’ महा-उत्सव शिवपूजा रुद्राभिषेक (शिव-अभिषेक) भारत,
हांगकांग एवं अन्य देशों में विक्रम संबत २०८०-२०८६ शाके १९४५-१९५१ (वर्ष २०२४-२०३० तक) फ़ाल्गुन कृष्णपक्षमें कब-कब है?
महाशिवरात्रि दि॒णु (शिव व्रतु-पूजा॒) कद॒हिं-कद॒हिं आहे साल २०२४-२०३० में?
‘महाशिवरात्रि महोत्सव’ तिथी व्रत पूजा शिवपूजा तिथी तारीख़ें नीचे दी गयी हैं :
महाशिवरात्रि व्रत २०२४-२०३० रुद्राभिषेक महाशिवरात्रि व्रत-पूजा |
‘महाशिवरात्रि’ महापर्व तिथी व्रत पूजा (शिव-अभिषेक) संबत २०८०-२०८६ शाके १९४५-१९५१ (वर्ष २०२४-२०३० तक) फागुन् फ़ाल्गुन कृष्णपक्ष |
०८ मार्च शुक्रवार २०२४ | फागुन् संबत् २०८० महाशिवरात्रि महोत्सव रुद्राभिषेक (शिवव्रत पूजा) |
२६ फरवरी बुधवार २०२५ | फागुन् संबत् २०८१ महाशिवरात्रि महोत्सव रुद्राभिषेक (शिवव्रत पूजा) |
रविवार १५ फरवरी २०२६ | फागुन् संबत् २०८२ महाशिवरात्रि महोत्सव रुद्राभिषेक (शिवव्रत पूजा) |
शनिवार ६ मार्च २०२७ | फागुन् संबत् २०८३ महाशिवरात्रि महोत्सव रुद्राभिषेक (शिवव्रत पूजा) |
बुधवार २३ फरवरी २०२८ | फागुन् संबत् २०८४ महाशिवरात्रि महोत्सव रुद्राभिषेक (शिवव्रत पूजा) |
रविवार ११ फरवरी २०२९ | फागुन् संबत् २०८५ महाशिवरात्रि महोत्सव रुद्राभिषेक (शिवव्रत पूजा) |
शनिवार ०२ मार्च २०३० | फागुन् संबत् २०८६ महाशिवरात्रि महोत्सव रुद्राभिषेक (शिवव्रत पूजा) |
॥ ॐ नम: शिवाय ॥
Maha Shivaratri 2024-2030 | Auspicious, Blissful, Kalyankaari Shiva
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Shiv Ji Ki Aarti – शिवजी की आरती
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