शरद पूर्णिमा तिथि – शरदोत्सव – कोजागर
Sharad Purnima Tithi – Sharad Utsav
Raas Purnima – Mahāraas Mahotsav, Kojagiri Festival
RAS LILA OR RAS JATRA
An autumnal full-moon night
Sharad Poonam – Sarad Parvan
Samvat 2077-2087 Saka era 1942-1952 (2020-2030)
शरत्पूर्णिमा (शरत् पूर्णमासी) कब होती है?
शरद पूर्णिमा तिथि प्रति–वर्ष कब होती है?
शरद पूर्णिमा का क्या महत्व है?
चन्द्रमास में प्रतिमास (हर माह) वर्ष भर में आने वाली हर पूर्णिमा पर व्रत–उपवास किया जाता है ।
पौराणिक मान्यता है, भगवान श्रीकृष्ण ने यमुना तटपर गोपियों के साथ महारास रचाया था ।
परन्तु आश्विन शुक्लपक्ष, शरद–पूर्णिमा का इनमें विशेष महत्व है । प्रत्येक वर्ष,
ऐसी वार्षिक पूर्णिमा मानी गई है, जबकि आकाश से अमृत वर्षा होती है ।
इस दिन पूर्णिमा-तिथि की चांदनी सबसे तेज प्रकाश वाली होती है ।
कोजागिरी पूर्णिमा या कोजागरी पूर्णिमा, शरदपूर्णिमा-शरदोत्सव,
कौमुदीव्रत (कौमुदी उत्सव), कुमार उत्सव, रास पूर्णिमा,
और कमला पूर्णिमा तिथि भी कहते हैं ।
भगवती श्रीलक्ष्मी तिथि भी कहते हैं ।
शरद पूर्णिमा कब है?
शरद पूर्णिमा तिथि (शरदोत्सव – कोजागर) कोजागरी पूर्णिमा भारत और हाँगकाँग में सम्बत २०७७ शके १९४२ (साल २०२०) में कब है?
शरद पूर्णिमा तिथि (शरदोत्सव – कोजागर) कोजागरी पूर्णिमा भारत और हाँगकाँग में सम्बत २०७७-२०८७ शके १९४२-१९५२ (साल २०२०-२०३०) में कब है?
सम्बत २०७७ आश्विन शुक्लपक्ष, शरद–पूर्णिमा तिथि आरम्भ:
शुक्रवार ३० अक्टूबर २०२० को १७:४४ से
सम्बत २०७७ आश्विन शुक्लपक्ष, शरद–पूर्णिमा तिथि समाप्त:
शनिवार ३१ अक्टूबर २०२० को २०:१:७ तक है ।
॥ गोपीगीतम् ॥
गोपी–गीत
गोपी गीत संस्कृत और हिंदी में
गोप्य ऊचुः –
जयति तेऽधिकं जन्मना व्रजः
श्रयत इन्दिरा शश्वदत्र हि ।
दयित दृश्यतां दिक्षु तावका
स्त्वयि धृतासवस्त्वां विचिन्वते ॥१॥
हे प्यारे ! तुम्हारे जन्म के कारण वैकुण्ठ आदि लोकों से भी व्रज की महिमा बढ़ गयी है । तभी तो सौन्दर्य और मृदुलता की देवी लक्ष्मीजी अपना निवास स्थान वैकुण्ठ छोड़कर यहाँ नित्य निरंतर निवास करने लगी है, इसकी सेवा करने लगी है । परन्तु हे प्रियतम! देखो तुम्हारी गोपियाँ जिन्होंने तुम्हारे चरणों में ही अपने प्राण समर्पित कर रखे हैं , वन वन भटककर तुम्हें ढूंढ रही हैं ॥१॥
शरदुदाशये साधुजातसत्
सरसिजोदरश्रीमुषा दृशा ।
सुरतनाथ तेऽशुल्कदासिका
वरद निघ्नतो नेह किं वधः ॥२॥
हे हमारे प्रेम पूर्ण ह्रदय के स्वामी ! हम तुम्हारी बिना मोल की दासी हैं । तुम शरदऋतु के सुन्दर जलाशय में से चाँदनी की छटा के सौन्दर्य को चुराने वाले नेत्रों से हमें घायल कर चुके हो । हे हमारे मनोरथ पूर्ण करने वाले प्राणेश्वर ! क्या नेत्रों से मारना वध नहीं है? अस्त्रों से हत्या करना ही वध है? ॥२॥
विषजलाप्ययाद्व्यालराक्षसा– द्वर्षमारुताद्वैद्युतानलात् ।
वृषमयात्मजाद्विश्वतोभया–
दृषभ ते वयं रक्षिता मुहुः ॥३॥
हे पुरुष शिरोमणि! यमुनाजी के विषैले जल से होने वाली मृत्यु, अजगर के रूप में खाने वाली मृत्यु अघासुर, इन्द्र की वर्षा, आंधी, बिजली, दावानल, वृषभासुर और व्योमासुर आदि से एवं भिन्न-भिन्न अवसरों पर सब प्रकार के भयों से तुमने बार- बार हम लोगों की रक्षा की है ॥३॥
न खलु गोपिकानन्दनो भवान– खिलदेहिनामन्तरात्मदृक् ।
विखनसार्थितो विश्वगुप्तये
सख उदेयिवान्सात्वतां कुले ॥४॥
हे परम सखा! तुम केवल यशोदा के ही पुत्र नहीं हो; समस्त शरीरधारियों के ह्रदय में रहने वाले उनके साक्षी हो, अन्तर्यामी हो । ब्रह्मा जी की प्रार्थना से विश्व की रक्षा करने के लिए तुम यदुवंश में अवतीर्ण हुए हो ॥४॥
विरचिताभयं वृष्णिधुर्य ते
चरणमीयुषां संसृतेर्भयात् ।
करसरोरुहं कान्त कामदं
शिरसि धेहि नः श्रीकरग्रहम् ॥५॥
हे यदुवंश शिरोमणि ! तुम अपने प्रेमियों की अभिलाषा पूर्ण करने वालों में सबसे आगे हो । जो लोग जन्म-मृत्यु रूप संसार के चक्कर से डरकर तुम्हारे चरणों की शरण ग्रहण करते हैं, उन्हें तुम्हारे कर कमल अपनी छत्र छाया में लेकर अभय कर देते हैं । हे हमारे प्रियतम ! सबकी लालसा-अभिलाषाओं को पूर्ण करने वाला वही कर-कमल, जिससे तुमने लक्ष्मीजी का हाथ पकड़ा है, हमारे सिर पर रख दो ॥५॥
व्रजजनार्तिहन्वीर योषितां निजजनस्मयध्वंसनस्मित ।
भज सखे भवत्किंकरीः स्म नो जलरुहाननं चारु दर्शय ॥६॥
हे वीर शिरोमणि श्यामसुंदर! तुम सभी व्रजवासियों का दुःख दूर करने वाले हो । तुम्हारी मंद-मंद मुस्कान की एक एक झलक ही तुम्हारे प्रेमी जनों के सारे मान-मद को चूर-चूर कर देने के लिए पर्याप्त है । हे हमारे प्यारे सखा! हमसे रूठो मत, प्रेम करो । हम तो तुम्हारी दासी हैं, तुम्हारे चरणों पर न्योछावर हैं । हम अबलाओं को अपना वह परमसुन्दर सांवला मुखकमल दिखलाओ ॥६॥
प्रणतदेहिनां पापकर्शनं
तृणचरानुगं श्रीनिकेतनम् ।
फणिफणार्पितं ते पदांबुजं कृणु
कुचेषु नः कृन्धि हृच्छयम् ॥७॥
तुम्हारे चरणकमल शरणागत प्राणियों के सारे पापों को नष्ट कर देते हैं । वे समस्त सौन्दर्य, माधुर्यकी खान है और स्वयं लक्ष्मी जी उनकी सेवा करती रहती हैं । तुम उन्हीं चरणों से हमारे बछड़ों के पीछे–पीछे चलते हो और हमारे लिए उन्हें सांप के फणों तक पर रखने में भी तुमने संकोच नहीं किया । हमारा ह्रदय तुम्हारी विरह व्यथा की आग से जल रहा है तुम्हारी मिलन की आकांक्षा हमें सता रही है । तुम अपने वे ही चरण हमारे वक्ष स्थल पर रखकर हमारे ह्रदय की ज्वाला शांत कर दो ॥७॥
मधुरया गिरा वल्गुवाक्यया
बुधमनोज्ञया पुष्करेक्षण ।
विधिकरीरिमा वीर मुह्यती– रधरसीधुनाऽऽप्याययस्व नः ॥८॥
हे कमल नयन ! तुम्हारी वाणी कितनी मधुर है । तुम्हारा एक–एक शब्द हमारे लिए अमृत से बढ़कर मधुर है । बड़े–बड़े विद्वान उसमें रम जाते हैं । उसपर अपना सर्वस्व न्योछावर कर देते हैं । तुम्हारी उसी वाणी का रसास्वादन करके तुम्हारी आज्ञाकारिणी दासी गोपियाँ मोहित हो रही हैं । हे दानवीर ! अब तुम अपने दिव्य अमृत से भी मधुर अधर–रस पिलाकर हमें जीवन–दान दो, छका दो ॥८॥
तव कथामृतं तप्तजीवनं
कविभिरीडितं कल्मषापहम् ।
श्रवणमङ्गलं श्रीमदाततं भुवि
गृणन्ति ते भूरिदा जनाः ॥९॥
हे प्रभो ! तुम्हारी लीला-कथा भी अमृत स्वरूप है । विरह से सताए हुये लोगों के लिए तो वह सर्वस्व जीवन ही है। बड़े बड़े ज्ञानी महात्माओं – भक्त कवियों ने उसका गान किया है, वह सारे पाप–ताप तो मिटाती ही है,
साथ ही श्रवण मात्र से परम मंगल – परम कल्याण का दान भी करती है । वह परम सुन्दर, परम मधुर और बहुत विस्तृत भी है । जो तुम्हारी उस लीलाकथा का गान करते हैं, वास्तव में भू-लोक में वे ही सबसे बड़े दाता हैं ॥९॥
प्रहसितं प्रिय प्रेमवीक्षणं
विहरणं च ते ध्यानमङ्गलम् ।
रहसि संविदो या हृदिस्पृशः
कुहक नो मनः क्षोभयन्ति हि ॥१०॥
हे प्यारे ! एक दिन वह था, जब तुम्हारे प्रेम भरी हंसी और चितवन तथा तुम्हारी तरह–तरह की क्रीडाओं का ध्यान करके हम आनंद में मग्न हो जाया करती थीं । उनका ध्यान भी परम मंगलदायक है, उसके बाद तुम मिले । तुमने एकांत में ह्रदय–स्पर्शी ठिठोलियाँ की, प्रेम की बातें कहीं । हे छलिया ! अब वे सब बातें याद आकर हमारे मन को क्षुब्ध कर देती हैं ॥१०॥
चलसि यद्व्रजाच्चारयन्पशून्
नलिनसुन्दरं नाथ ते पदम् ।
शिलतृणाङ्कुरैः सीदतीति नः
कलिलतां मनः कान्त गच्छति ॥११॥
हे हमारे प्यारे स्वामी! हे प्रियतम! तुम्हारे चरण, कमल से भी सुकोमल और सुन्दर हैं । जब तुम गॉं को चराने के लिये व्रज से निकलते हो तब यह सोचकर कि तुम्हारे वे युगल चरण कंकड़, तिनके, कुश एंव कांटे चुभ जाने से कष्ट पाते होंगे; हमारा मन बेचैन हो जाता है । हमें बड़ा दुःख होता है ॥११॥
दिनपरिक्षये नीलकुन्तलै–
र्वनरुहाननं बिभ्रदावृतम् ।
घनरजस्वलं दर्शयन्मुहुर्मनसि
नः स्मरं वीर यच्छसि ॥१२॥
हे हमारे वीर प्रियतम! दिन ढलने पर जब तुम वन से घर लौटते हो तो हम देखतीं हैं की तुम्हारे मुख कमल पर नीली-नीली अलकें लटक रही हैं और गॉं के खुर से उड़-उड़कर घनी धुल पड़ी हुई है । तुम अपना वह मनोहारी सौन्दर्य हमें दिखा दिखाकर हमारे ह्रदय में मिलन की आकांक्षा उत्पन्न करते हो ॥१२॥
प्रणतकामदं पद्मजार्चितं
धरणिमण्डनं ध्येयमापदि ।
चरणपङ्कजं शंतमं च ते
रमण नः स्तनेष्वर्पयाधिहन् ॥१३॥
हे प्रियतम! एकमात्र तुम्हीं हमारे सारे दुखों को मिटानेवाले हो । तुम्हारे चरण कमल शरणागत भक्तों की समस्त अभिलाषाओं को पूर्ण करनेवाले हैं । स्वयं लक्ष्मीजी उनकी सेवा करती हैं । और पृथ्वीके तो वे भूषण ही हैं । आपत्तिके समय एकमात्र उन्हींका चिंतन करना उचित है जिससे सारी आपत्तियां कट जाती हैं । हे कुंजबिहारी ! तुम अपने उन परम कल्याण स्वरूप चरण हमारे वक्षस्थल पर रखकर हमारे ह्रदय की व्यथा शांत कर दो ॥१३॥
सुरतवर्धनं शोकनाशनं
स्वरितवेणुना सुष्ठु चुम्बितम् ।
इतररागविस्मारणं नृणां वितर
वीर नस्तेऽधरामृतम् ॥१४॥
हे वीर शिरोमणि ! तुम्हारा अधरामृत मिलन के सुख को बढ़ाने वाला है । वह विरहजन्य समस्त शोक संताप को नष्ट कर देता है । यह गाने वाली बांसुरी भलीभांति उसे चूमती रहती है । जिन्होंने उसे एक बार पी लिया, उन लोगों को फिर अन्य सारी आसक्तियों का स्मरण भी नहीं होता । अपना वही अधरामृत हमें पिलाओ ॥१४॥
अटति यद्भवानह्नि काननं
त्रुटिर्युगायते त्वामपश्यताम् ।
कुटिलकुन्तलं श्रीमुखं च ते
जड उदीक्षतां पक्ष्मकृद्दृशाम् ॥१५॥
हे प्यारे ! दिन के समय जब तुम वन में विहार करने के लिए चले जाते हो, तब तुम्हें देखे बिना हमारे लिए एक एक क्षण युग के समान हो जाता है और जब तुम संध्या के समय लौटते हो तथा घुंघराली अलकों से युक्त तुम्हारा परम सुन्दर मुखारविंद हम देखती हैं, उस समय पलकों का गिरना भी हमारे लिए अत्यंत कष्टकारी हो जाता है और ऐसा जान पड़ता है की इन पलकों को बनाने वाला विधाता मूर्ख है ॥१५॥
पतिसुतान्वयभ्रातृबान्धवान
तिविलङ्घ्य तेऽन्त्यच्युतागताः ।
गतिविदस्तवोद्गीतमोहिताः कितव
योषितः कस्त्यजेन्निशि ॥१६॥
हे हमारे प्यारे श्याम सुन्दर! हम अपने पति–पुत्र, भाई –बन्धु, और कुल परिवार का त्यागकर, उनकी इच्छा और आज्ञाओं का उल्लंघन करके तुम्हारे पास आयी हैं । हम तुम्हारी हर चाल को जानती हैं, हर संकेत समझती हैं और तुम्हारे मधुर गान से मोहित होकर यहाँ आयी हैं । हे कपटी ! इसप्रकार रात्रिके समय आयी हुई युवतियों को तुम्हारे सिवा और कौन छोड़ सकता है ॥१६॥
रहसि संविदं हृच्छयोदयं
प्रहसिताननं प्रेमवीक्षणम् ।
बृहदुरः श्रियो वीक्ष्य धाम ते मुहुरतिस्पृहा मुह्यते मनः ॥१७॥
हे प्यारे! एकांत में तुम मिलन की इच्छा और प्रेम–भाव जगाने वाली बातें किया करते थे । ठिठोली करके हमें छेड़ते थे । तुम प्रेम भरी चितवन से हमारी ओर देखकर मुस्कुरा देते थे और हम तुम्हारा वह विशाल वक्ष:स्थल देखती थीं जिस पर लक्ष्मी जी नित्य निरंतर निवास करती हैं । हे प्रिये ! तबसे अब तक निरंतर हमारी लालसा बढ़ती ही जा रही है और हमारा मन तुम्हारे प्रति अत्यंत आसक्त होता जा रहा है ॥१७॥
व्रजवनौकसां व्यक्तिरङ्ग ते
वृजिनहन्त्र्यलं विश्वमङ्गलम् ।
त्यज मनाक् च नस्त्वत्स्पृहात्मनां
स्वजनहृद्रुजां यन्निषूदनम् ॥१८॥
हे प्यारे! तुम्हारी यह अभिव्यक्ति व्रज–वनवासियों के सम्पूर्ण दुःख ताप को नष्ट करने वाली और विश्व का पूर्ण मंगल करने के लिए है । हमारा ह्रदय तुम्हारे प्रति लालसा से भर रहा है । कुछ थोड़ी सी ऐसी औषधि प्रदान करो, जो तुम्हारे निज जनों के ह्रदय रोग को सर्वथा निर्मूल कर दे ॥१८॥
यत्ते सुजातचरणाम्बुरुहं स्तनेष
भीताः शनैः प्रिय दधीमहि कर्कशेषु ।
तेनाटवीमटसि तद्व्यथते न किंस्वित् कूर्पादिभिर्भ्रमति धीर्भवदायुषां नः ॥१९॥
हे श्रीकृष्ण! तुम्हारे चरण, कमल से भी कोमल हैं । उन्हें हम अपने कठोर तन पर भी डरते डरते रखती हैं कि कहीं उन्हें चोट न लग जाय । उन्हीं चरणों से तुम रात्रि के समय घोर जंगल में छिपे–छिपे भटक रहे हो । क्या कंकड़, पत्थर, काँटे आदि की चोट लगने से उनमें पीड़ा नहीं होती? हमें तो इसकी कल्पना मात्र से ही चक्कर आ रहा है । हम अचेत होती जा रही हैं । हे प्यारे श्यामसुन्दर ! हे प्राणनाथ! हमारा जीवन तुम्हारे लिए है, हम तुम्हारे लिए जी रही हैं, हम सिर्फ तुम्हारी हैं ॥१९॥
इति श्रीमद्भागवत महापुराणे पारमहंस्यां संहितायां दशमस्कन्धे ।
पूर्वार्धे रासक्रीडायां गोपीगीतं नामैकत्रिंशोऽध्यायः ॥
शरद–पूर्णिमा अस्सूअ जे महिने में
शरद–पूनम कार्तिक स्नान शुरु
शरदपूर्णिमा तिथ – कोजागिरि
“बरसात पूरे थियण खां पोऐ असू जे महिने में आसमान साफ़ हुजण करे पूनम ते
चन्डु तमाम सुहिणो लग॒न्दो आहे । माण्हू चाण्डोकीअ में वेही ख़ास करे खीरु पीअन्दा आहिनि ।
ऐं जागि॒रतो कन्दा आहिनि । लक्ष्मी आकाश मां हेठ लहन्दी आहे । ऐं हर कन्हिजे घर लीओ
दि॒सन्दी आहे त सज़ी रात कोई जागि॒यो आहे? तन्हिंकरे संस्कृत में हिन पूनम जो नालो पयो “कोजागरति” (को – केरु, जागरति – जा॒गे थो)
तन्हिंमां फ़िरी थियो “कोजागरि” जेको सिदिकु रखी जागि॒यो हून्दो, लक्ष्मी उन भाग्यवान जे घर निवास कन्दी आहे ।
हिन पूनम खां वठी, कत्तीअ जे पूनम ताईं कत्तीअ जा ख़ास स्नान शुरु थीन्दा आहिनि ।”
When Sharad Purnima occurs?
What is the ‘Sharat – Sharad Purnima vrat tithi’ and its significance?
Sharad Purnima occurs in Assu (Ashwin Month) on full moon in October every year.
‘Satyanarayan Vrat Pooja’ and ‘Satynarayan Katha’ is being performed on the Puran Chandra.
Each month ‘Purnima vrat’ occurs on ‘fifteenth tithi’ Ashvin (Asoj) Shukla.
‘15th lunar day full moon’ in bright half . It occurs once in a month.
‘15 Tithi lunar day’ fast is being observed, katha, prayers are done.
Whereas, Sharad Purnima occurs annually in Ashwin Maas.
Thus, Ashwin Shukla Purnima is called ‘Sharad Purnima’.
Kartik Snaan (holy bath) starts from this Sarat Poonam to Kartik Poonam.
It has its due significance.
It’s also being called:
Rasotsava,
Raasa-utsav,
Sharadotsava,
Sharat-poonam,
Kojagiri Festival,
Kojagara Festival,
Kojagara Pournima,
Koumudi – utsavam,
Kumaaro – utsavam,
Kamla Purnima tithi,
Lakshmi prayer thithi,
Autumn Full Moon Ponam.
What is Sarada (Sarad, Sarat) Poonam शरद, शरद पूर्णिमा रात्रि ‘शरद पूनमनी रात’ significance?
Sharad means,
“The autumn, the autumnal season (comprising the two months शरद आश्विन and कार्तिक कोजागरी उत्सव
What is Sarad Chandra (Sarat), Sarad-triyama?
Sarad Chandra is “an autumnal moon”.
Sarad-triyama (Sharad-triyama) is, “an autumnal night”.
What is Sarat-Parvan (Sarat Utsav-Festival)?
Sarad is the ‘time or season of autumn’.
Shard-Parvan (Festival Night) is “An autumnal ‘full-moon night’.”
“The festival called Kojagara” (Kojagari Purnima).
What is Sarada (Sarad, Sarat) Poonam शरद, शरद पूर्णिमा रात्रि ‘शरद पूनमनी रात’ significance?
Sharad means, “The autumn, the autumnal season
(comprising the two months शरद आश्विन and कार्तिक कोजागरी उत्सव
पूर्णिमा रात्रि शरद पूनमनी रात
Sarad Aagama, “approach of autumn”.
It’s being celebrated in all over Bharat (India), in Gujarat, Rajasthan, Bengal, North Bharat and other parts too.
“In North India men and women holding each other’s hands, go round in a circle, singing the airs to which they dance, in imitation of Krishna and the Gopis.”“The following account is given of its celebration in Bengal under the name of Ras Jatra:
The festival is held during three nights, to celebrate the revels of Krishna with the milkmaids. The image of this god is placed in a brick building, which is open on all sides, and has one highly elevated sitting-place. This building is annually oranamented and grandly illuminated for the festival. Sixteen small images of Krishna are necessary on this occasion, but a very small gold image, about the size of a breast-pin, is placed as the object of adoration, and afterwards given to the officiating Brahman. At the close of the festival the clay images are put into the river.”
Wilkins says, “This is a most popular festival, and immense crowds of people come to this annual fair with all the attendant festivities and excesses.” p.71
What is Raas Yatra (Rās Yātrā)?
“A festival in honour of Krishna and dances with Gopis (kept on the full moon of the Karttika)”. Page 879.
What is Raas (Rās Mandala)?
“Krishna’s circular dancing ground” is called Raasa Mandala. Bhagawata puran.
Other questions asked:
What is Sarad Ritu varnana, Sarada Yamini, Sharad – Sarad Chandra? Sharad Ritu-varnana, “Description of the autumnal season”; Sharada yaamini means, “a night in the autumn”; “the autumnal moon” respectively.
Sharad Purnima Samvat 2077-2087 2020-2030 Dates |
शरद पूर्णिमा तिथि– सत्यनारायण व्रत कथा पूजा तिथी एवं तारीख़ें सम्वत् २०७७–२०८७ Ashvin Sharad – Sharat Purnima Full Moon (Asoj – Asso Maas Shukla Purnima) 15th Tithi fast, festival on Yearly Sarad Pouranimi tithi vratam dates October |
Samvat 2077 Ashwin Masa SP
Fri 30 October 2020 Saka 1942 |
Sharad Purnima, An Autumnal full-moon night: Kojagiri Purnima – Kojagari festival, Full Moon night (15th Tithi starts 17:44pm IST), (Dwitiya Shuddh Ashwin Masa Purnima), Lakshmi Indra pujan |
Samvat 2077 Ashwin Masa SP
Sat 31 October 2020 Saka 1942 |
Ashadhi u.v. Purnima Vrat (15th Tithi Ends 20:17pm IST), (Dwitiya Shuddh Ashwin Masa Purnima), Valmiki Jayanti, Sharad Purnima, Agrahayan N. Purnima, Kartik Snan arambh, Nava-Annaprashan, Daakor Mela, Ayambil Ori s. (Jain) |
Samvat 2078 Ashwin Masa SP
Tu. 19 October 2021 Saka 1943 |
An autumnal full-moon night: Kojagiri Purnima – Kojagari festival, Full Moon night (15th Tithi starts 19:05 pm IST), Ashwin Masa Purnima, Lakshmi Indra pujan |
Samvat 2078 Ashwin Masa SP
Wed 20 October 2021 Saka1943 |
u.v. Ashadhi Purnima Vrat (15th Tithi E. 20:27pm IST), Ashwin Masa Purnima, Valmiki Jayanti, Sharad Purnima, Agrahayan N. Purnima, Kartik Snan arambh, Nava-Annaprashan, Daakor Mela, Ayambil Ori s. (Jain) |
Samvat 2079 Ashwin Masa SP | Sun 9 October 2022 Saka 1944 (15th Tithi starts fm 27:44am IST *8/9 Oct. – Ashwin Masa) |
Samvat 2079 Ashwin Masa SP
Mon 10 October 2022 Saka 1944 |
Sharad Purnima, An autumnal full-moon night: Kojagiri Purnima – Kojagari festival, Full Moon night, Lakshmi Indra pujan Ashadhi Purnima Vrat (15th Tithi completes at 26:24am IST *9/10 Oct,), Ashvin Month Purnima, Valmiki Jayanti, Agrahayan N. Purnima, Kartik Snan arambh, Nava-Annaprashan, Daakor Mela, Ayambil Ori s. (Jain) |
Samvat 2080 Ashwin Masa SP
Sat 28 October 2023 Saka 1945 |
15th Tithi starts from *28:18 am IST on 28/29 October 2023
Dwitiya Shuddh Nij Ashwin Masa |
Samvat 2080 Ashwin Masa SP
Sun 29 October 2023 Saka 1945 |
Sharad Purnima, u.v. Ashadhi Purnima Vrat (15th Tithi Ends *25:54 am IST 29/30), Dwitiya Shuddh Nij Ashwin Masa Purnima, Valmiki Jayanti, Agrahayan N. Purnima, Kartik Snan arambh, Nava-Annaprashan, Daakor Mela, Ayambil Ori s. (Jain), Lakshmi Indra pujan |
Samvat 2081 Ashwin Masa SP
Wed 16 October 2024 Saka 1946 |
Sharad Purnima, An autumnal full-moon night: Kojagiri Purnima – Kojagari festival, Full Moon night (15th Tithi s. 20:41pm IST), Ashwin Masa Purnima, Lakshmi Indra puja |
Samvat 2081 Ashwin Masa SP
Thur 17 October 2024 Saka 1946 |
u.v. Ashadhi Purnima Vrat (15th Tithi E. 16:56 pm IST), Ashwin Masa Purnima, Valmiki Jayanti, Agrahayan N. Purnima, Kartik Snan Aarambh (Kartik holy bath), Nava-Annaprashan, Daakor Mela, Ayambil Ori s. (Jain) |
Samvat 2082 Ashwin Masa SP
Mon 06 October 2025 Saka 1947 |
Sharad Purnima, An autumnal full-moon night: Kojagiri Purnima– Kojagari festival, Full Moon night (15th Tithi starts 12:24pm IST), Ashwin Masa Purnima, Lakshmi Indra pujan |
Samvat 2082 Ashwin Masa SP
Tu. 7 October 2025 Saka 1947 |
u.v. Ashadhi Purnima Vrat (15th Tithi E. 09:18 am IST), Ashwin Masa Purnima, Valmiki Jayanti, Agrahayan N. Purnima, Kartik Snan arambh, Nava-Annaprashan, Daakorji Mela, Ayambil Ori s. (Jain) |
Samvat 2083 Ashwin Masa SP
Sun 25 October 2026 Saka 1948 |
Sharad Purnima, An autumnal full-moon night: Kojagiri Purnima – Kojagari festival, Full Moon night (15th Tithi starts 11:54 am IST), (Dwitiya Shuddh Ashwin Masa Purnima), Lakshmi Indra pujan |
Samvat 2083 Ashwin Masa SP
Mon 26 October 2026 Saka 1948 |
u.v. Ashadhi Purnima Vrat (u.v. 15th Tithi E. 09:42 am IST), (Dwitiya Shuddh – Nij Ashwin Masa Purnima), Valmiki Jayanti, Sharad Purnima, Agrahayan N. Purnima, Kartik Snan arambh, Nava-Annaprashan, Daakor Mela, Ayambil Ori s. (Jain) |
Samvat 2084 Ashwin Masa SP
Thur 14 October 2027 Saka 1949 |
Sharad Purnima, An autumnal full-moon night: Kojagiri Purnima – Kojagari festival, Full Moon night (15th Tithi starts 18:50 pm IST), Ashwin Masa Purnima, Lakshmi Indra pujan |
Samvat 2084 Ashwin Masa SP
Fri 15 October 2027 Saka 1949 |
u.v. Ashadhi Purnima Vrat (15th Tithi E. 19:17pm IST), Ashwin Masa Purnima, Valmiki Jayanti, Sharad Purnima, Agrahayan N. Purnima, Kartik Snan arambh, Nava-Annaprashan, Daakor Mela, Ayambil Ori s. (Jain) |
Samvat 2085 Ashwin Masa SP
Mon 2 October 2028 Saka 1950 |
An autumnal full-moon night: Kojagiri Purnima – Kojagari festival, Full Moon night (15th Tithi starts 19:34pm IST), (Dwitiya Shuddh Ashwin Masa Purnima), Lakshmi Indra pujan |
Samvat 2085 Ashwin Masa SP
Tues 3 October 2028 Saka 1950 |
Uday-vyapini Ashadhi Purnima Vrat (15th Tithi E. 21:55 pm IST), (Dwitiya Shuddh Ashwin Masa Purnima), Valmiki Jayanti, Sharad Purnima, Agrahayan N. Purnima, Kartik Snan arambh, Nava-Annaprashan, Daakor Mela, Ayambil Ori s. (Jain) |
Samvat 2086 Ashwin Masa SP
Sun 21 October 2029 Saka 1951 |
Sharad Purnima, An autumnal full-moon night: Kojagiri Purnima – Kojagari festival, Full Moon night (15th Tithi starts 12:32 pm IST), (Dwitiya Shuddh – Nij Ashwin Masa Purnima), Lakshmi Indra pujan |
Samvat 2086 Ashwin Masa SP
Mon 22 October 2029 Saka 1951 |
Uday-vyapini Ashadhi Purnima Vrat (15th Tithi E. 14:57pm IST), (Dwitiya Shuddh – Nij Ashwin Masa Purnima), Valmiki Jayanti, Agrahayan N. Purnima, Kartik Snaan arambh (Kartik Month holy bath begins), Nava-Annaprashan, Daakor Mela, Ayambil Ori s. (Jain) |
Samvat 2087 Ashwin Masa SP
Thu 10 October 2030 Saka 1952 |
Sharad Purnima, An autumnal full-moon night: Kojagiri Purnima – Kojagari festival, Full Moon night (15th Tithi starts 15:40 pm IST), Ashwin Masa Purnima, Lakshmi Indra pujan |
Samvat 2087 Ashwin Masa SP
Fri 11 October 2030 Saka 1952 |
Uday-vyapini Ashadhi Purnima Vrat (15th Tithi E. 16:16pm IST), Ashwin Masa Purnima, Valmiki Jayanti, Agrahayan N. Purnima, Kartik Snan Aarambh, Nava-Annaprashan, Daakor Mela, Ayambil Ori s. (Jain) |
Note: *8/9 i.e. (15th Tithi starts 27:44 – 03 :44 am IST of 9 Oct.) eigth october after 12-midnight day and date will change to 9th October. Adopting both the systems (Hindu system Sunrise to next-day Sunrise the one lunar day and next day will start with new-day Sunrise; and other system after twelve midnight day, date will change) the information is provided as per their respective regions, places. Accordingly, read for other (*) given dates, such as *9/10 (15th Tithi E. 26:24am IST *9/10 Oct,) nineth October after 12-midnight day and date will change to Monday 10th October. u.v. : udaya vyapini tithi (the tithi that starts with the Sunrise or other words to say, the tithi which begins from the Sunrise on any of the given lunar day.).
Acknowledgement:
Mata Pita, Guru, Jagat-Guru, Sarva Devi-Devata, nears and dears.
Hindu fastings and festivals; Sri Vishnu puranam; Brahama puran, Padma puran, Bhagawata-puran Gopi Geet, गोपी भ्रमरगीत, Gopi Venu Geet गोपी वेणु गीत. Dharma Sindhu, Nirnaya Sindhu. Hinduon ke vrat aur tyoohaar हिन्दुओं के व्रत और त्यौहार page number 97 and 98, Lekhikaa Asha Agrawal, Prakashak Lakshmi Prakashan, 4734, 1/Floor, Balli Maran, Delhi – 110 006. Lekhak Pujya Shri Kishinchand T. Jetley in Sindhi Dina book p. 17 in The Indian Institute of Sindhiology. Sharad Purnima Chandra puja, pujan viddhi and its legend, Kartik snaan Gopi Krishna katha. Hindu Rites, Rituals, Customs & Traditions, For My Puja Room Pooja Sangraha by Kiran Agarwal p.nos, 126 & 127. Paurnimi, Paurnima – Tithi Nirnaya page no. 34 and 35. Hindu festivals p. 70 & 71. Wilkinson p. 71. Sanskrit English Dictionary p. 1057, Hindi Dictionary, Sindhi Dictionary p. no. 341; Sindhi dictionary p. 151. Panhainjo Paanna Sunjaan book by Shri Tootaram Mayaram Hingorani p. numbers 38, 39, 40. Marathi Dictionary, Gujarati Dictionary p. no. various sources from panchangs and Sindhi Tipno. Thanks to Bhavana, Jay and Pooja Sharma.
The Sarad Ritu Purnima article, Raasa Leela Purnima: in Hindi शरद पूर्णिमा तिथि – शरदोत्सव – कोजागर English Sharad Purnima Tithi – Sharad Utsav Raas Purnima – Mahāraas Mahotsav, Kojagiri Festival RAS LILA OR RAS JATRA An autumnal full-moon night Sarad Parvan – Sharad Poonam Samvat 2077-2087 Saka era 1942-1952 (2020-2030) in Sanskritam, Sanskrit text of (Gopi Geetam in Sanskritam and in Hindi Gopi Geet गोपी गीत संस्कृत और हिंदी में ॥ गोपीगीतम् ॥
and in Sindhi شَرد پوُرنما اَسوُءَ جي مهني
شَرد پوُنم ـ ڪارتڪ سنان شروه وِڪرم سنبت ۲۰۷۷ کان ۲۰۸۷ تائين شڪ ۱۹۴۲ـ۱۹۵۲ (سال ۲۰۲۰ـ۲۰۳۰)
Jai Sri Krishna!
Jai Sri Gopivallabha!
Sri Gopi-Krishnaya Namaha!
Om Sri Kamalaayae Namaha!
Om Sri Lakshimayae Namaha!
Om Sharad Chandramasyae Namaha!
Wishing you all Shubh Sharad-Purmina Thithi Festival, Sharadotsava Festival, Kumarotsava, Rasa utsava, Kaumudi vrato utsav!
شَرد پوُرنما اَسوُءَ جي مهني
شَرد پوُنم ـ ڪارتڪ سنان شروه
وِڪرم سنبت ۲۰۷۷ کان ۲۰۸۷ تائين
شڪ ۱۹۴۲ـ۱۹۵۲ (سال ۲۰۲۰ـ۲۰۳۰)
شَرد پوُنم ڏِڻَ (شَرد پوُرنما) ڪڏهن ٿيندو آهي؟
۽ شَرد پوُنم تِٿ جو ڪهڙو مهتو آهي؟
“برسات پوُري ٿيڻ کان پوءَ اَسوُءَ جي مهني ۾ آسمان صاف هُجڻ ڪري پوُنم تي چنڊ تمام سُهڻو لڳندو آهي. ماڻهوُ چانڊوڪيِ ۾ ويهيِ خاص ڪري کير پيئندا آهن ۽ جاڳرتو ڪندا آهن. لڪشميِ آڪاش مان هيٺ لهنديِ آهي ۽ هر ڪنهن جي گهر ليئو کائي ڏسنديِ آهي تـ سڄي رات ڪوئي جاڳيو آهي؟ تنهن ڪري سنسڪِرِتَ ۾ هن پوُنم جو نالو پيو “ڪو جاگرتيِ” (ڪو ـ ڪير، جاگرتيِ ـ جاڳي ٿو)، تنهن مان ڦريِ ٿِيو “ڪوجاگريِ“، جيڪو صدق رکيِ جاڳيو هوندو، لڪشميِ انهيءَ ڀاڳوان جي گهر نِواس ڪنديِ آهي.
هن پوُنم کان وٺيِ، ڪتيءَ جي پوُنم تائين ڪتيِءَ جا خاص سِنانَ شروع ٿيندا آهن.”
پوُج دادا ڪشنچند جيٽلي (سِنڌيِ ڏِڻ شَرد پوُنم ـ ڪارتڪ سنان شروع سنڌيالاجي جي پستڪ جي ليک ۾ صفعو نمبر ۱۷ تان ورتل)
(Sindhi Dina p. number 17 Pujya Dada Kishinchand Jetley printed by
Indian Institute of Sindhology Adipur – Gandhidham (Kutch) 370 205).
– اوم –
اوم ست ـ چِت ـ آنند روُپ!
جاڏي نِهار تـ پاڻ ئيِ پاڻ!
“جاڳرت ۾ جوئيِ، سپني ۾ سوئيِ اچي؛
سُمهي سُکپت ۾، ڪري آنند اُهوئيِ؛
تِريا سان تد روُپ ٿيِ، ٿو ساک ڏئي سوئيِ؛
آتم اُهوئي، جو چئني کي چيتن ڪري.” (ساميِ)
“فقط گوُپيُن روُپيِ سِڪَ ۽ گِيان يا ڄاڻ روُپيِ اَڀياس سان پاڻ پسڻو يا پاڻ ۾ ملڻو آهي.
گوُپيُن روُپيِ سِڪَ يعني ڪم ڪار ڪندي بـ خيال اِهو ئيِ ڪرڻو آهي تـ سرير کي جو هيترا سال پاڻ پئي سمجهيو ويو آهي سو مِٿيَا خيال آهي. پاڻ اُهو هِڪُ پريِپوُرن، سروَ جو مالِڪ، جتي ٻيو پيدا ئيِ ڪوُن ٿيو آهي، سوئيِ آهي. قدرت سندس جؤت روشنائيِ آهي.”
جاڏي نِهار تـ پاڻ ئيِ پاڻ!
Sat-Chit-Anand Roop!
Jaadde Nihaar ta Paanna ii Paanna!
Jaagrt Mein Joi, Sapne Mein Soi Achey;
Sapne Sukhpat Mein, Karey Aanand uhoi;
Tiryaa Saan Tad Roop Thi, Tho Saakh Ddey Soi;
Aatma uhoi, Jo Chaini Khey Chetan Karey.” (Sami)
شاه عبداللطيف چوي ٿوـ
“سوئيِ هيڏانهن سوئيِ هوڏانهن، سوئيِ من وسي؛
تنهن سندي سوجهري، سوئيِ سو پسي.”
پنهنجو پاڻ سُڃاڻ ـ طوطارام ميارام هِنگوراڻيِ پيج صفعو ۴۰.
Soi Heyddannh Soi Hoddannh, Soi Man Vasay;
Tanhein Sandey Sojhrey, Soi So Pasey.”
(Tootaram Mayaram Hingorani book p. no. 40).
شَرد پوُنم ـ شَرد پوُرنما اَسوُءَ جي مهني ـ ڪارتڪ سنان ڪڏهن شروه ٿيندا وِڪرم سنبت ۲۰۷۷ کان ۲۰۸۷ تائين شڪ ۱۹۴۲ کان ۱۹۵۲ (سال ۲۰۲۰ـ۲۰۳۰) ڀارت ۽ هانگ ڪانگ ۾؟
سنبت ۲۰۷۷ ۾ ورش ۲۰۲۰ ۾ آڪٽوبر ۳۰ تاريخ تي شڪروار ڏينهن (جمح ۱۷.۴۴ کان ڀارت اَسٽنڊرڊ وقت مؤجب) تي اَسوُءَ جي مهني جيِ شَرد پوُنم (شَرد پوُرنما) تِٿَ شروع آهي.
۽
شَرد پوُنم (شَرد پوُرنما) تِٿَ سماپت (پوُري ۲۰.۱۷ آ.ايس.ٽيِ. موُجب) ٿينديِ ڇنڇر ڏينهن تاريخ ۳۱ آڪٽوبر تي رات جو.
۽
۳۱ تاريخ آڪٽوبر ڇنڇر ڏينهن ۲۰۲۰ کان ڪارتڪ سنان شروه ٿيندا، ڪتيِءَ مهني جي شڪل پکش جي پوُرنما ۳۰ نومبر سوُمر ڏِينهُن تائين. آرٿات ڪارتڪ پورڻما سوُمر ڏِينهُن ۳۰ نومبر تي.
سنبت ۲۰۷۷ اسو شڪل پکش ۳۱ تاريخ آڪٽوبر ڇنڇر ڏينهن ۲۰۲۰ تي ٻيا بـ ڏِڻ اهن، جهڙوڪ ڊاڪور ميلو، سردار وللڀ ڀائي پٽيل جينتيِ، آيمبليِ اوريِ سماپت (جين)، والمِڪيِ جينتيِ، اُديـ وِياپِنيِ پوُرڻِما سماپت ۽ ستنارايڻ وِرِتُ ڪٿا پوُڄن).
۳۰ نومنر۲۰۲۰ تي ٻيا بـ ڏِڻ اهن، جهڙوڪ (گروُ نانڪ جينتيِءَ، ديوـ دِواليِ گُجرات، پُشڪر ميلو اَجمير، تُلسيِ وواه سماپت، بيکم سماپت، هيمچند آچاريـ جينتيِ جين، ڇايا چنِڊُ گِرهڻُ (ڀارت ۽ هانگڪانگ ۾ ڪون آهي ۽ تنهنڪري اِتي نـ واربو)، ڪارتِڪ پورڻما اُديـ وِياپِنيِ پوُرڻِما سماپت ۽ ستنارايڻ وِرِتُ ڪٿا پوُڄن).
شَرد پوُنم ڏِڻَ (شَرد پوُرنما) تِٿ ڪڏهن ڪڏهن آهي، سنبت ۲۰۷۷ کان ۲۰۸۷ تائنن هتي ڏجي ٿو :
شَرد پوُرنما اَسوُءَ جي مهني
شَرد پوُنم ـ ڪارتڪ سنان شروه وِڪرم سنبت ۲۰۷۷ کان ۲۰۸۷ تائين شڪ ۱۹۴۲ـ۱۹۵۲ (سال ۲۰۲۰ـ۲۰۳۰) |
شَرد پوُنم
وِڪرم سنبت ۲۰۷۷ کان ۲۰۸۷ تائين شڪ ۱۹۴۲ـ۱۹۵۲ |
۳۰ آڪٽوبر شڪروار سال ۲۰۲۰ شَرد پوُرنما تِٿ شروع
اَسوُءَ مهنو سنبت ۲۰۷۷ شڪ ۱۹۴۲ |
۳۰ آڪٽوبر ۲۰۲۰ |
۳۱ آڪٽوبر ڇنڇر سال ۲۰۲۰ (اُديـ وِياپنيِ تِٿ) شَرد پوُرنما تِٿ ختم
(15th Tithi Ends 20:17pm IST), |
اَسوُءَ سنبت ۲۰۷۷ شڪ ۱۹۴۲
۳۱ آڪٽوبر ۲۰۲۰ |
شَرد پوُرنما تِٿ شروع
۱۹ آڪٽوبر منگل سال ۲۰۲۱ |
اَسوُءَ سنبت ۲۰۷۸ شڪ ۱۹۴۳
۱۹ آڪٽوبر ۲۰۲۱ |
۲۰ آڪٽوبر ۲۰۲۱ (اُديـ وِياپنيِ تِٿ) شَرد پوُرنما تِٿ سماپت
15th uday vyapini tithi Ends 20:27pm IST |
اَسوُءَ سنبت ۲۰۷۸ شڪ ۱۹۴۳
۲۰ آڪٽوبر ۲۰۲۱ |
۹ آڪٽوبر ۲۰۲۲ آرتوار شَرد پوُرنما تِٿ شروع
(15th Tithi starts 27:44 am IST *8/9 October) |
اَسوُءَ سنبت ۲۰۷۹ شڪ ۱۹۴۴
۹ آڪٽوبر ۲۰۲۲ |
۱۰ آڪٽوبر ۲۰۲۲ سومر شَرد پوُرنما
(اُديـ وِياپنيِ تِٿ) شَرد پوُرنما تِٿ ختم (15th Tithi Ends 26:24am IST *9/10 October) |
اَسوُءَ مسنبت ۲۰۷۹ شڪ ۱۹۴۴
۱۰ آڪٽوبر ۲۰۲۲ |
۲۸ آڪٽوبر ۲۰۲۳ ڇنڇر شَرد پوُرنما تِٿ شروع
(15th Tithi starts 28:18 am IST) |
اَسوُءَ سنبت ۲۰۸۰ شاڪي ۱۹۴۵
۲۸ آڪٽوبر ۲۰۲۳ |
۲۹ آڪٽوبر ۲۰۲۳ آرتوار شَرد پوُرنما
(اُديـ وِياپنيِ تِٿ) شَرد پوُرنما تِٿ سماپت (udaya vyapini 15th Tithi Ends 25:54 am IST) |
اَسوُءَ سنبت ۲۰۸۰ شاڪي ۱۹۴۵
۲۹ آڪٽوبر ۲۰۲۳ |
۱۶ آڪٽوبر ۲۰۲۴ ٻُڌر شَرد پوُرنما تِٿ شروع
اَسوُ مهنو سنبت ۲۰۸۱ شاڪي ۱۹۴۶ (15th Tithi starts 20:41 pm IST) |
اَسوُ سنبت ۲۰۸۱ شاڪي ۱۹۴۶
۱۶ آڪٽوبر ۲۰۲۴ |
۱۷ آڪٽوبر ۲۰۲۴ وِرهسپت (اُديـ وِياپنيِ تِٿ) شَرد پوُرنما تِٿ سماپت
(uday-vyapini 15th Tithi Ends 16:56 pm IST) |
اَسوُ سنبت ۲۰۸۱ شاڪي ۱۹۴۶
۱۷ آڪٽوبر ۲۰۲۴ |
۰۶ آڪٽوبر سوُمر ۲۰۲۵ شَرد پوُرنما تِٿ شروع
(15th Tithi starts 12:24pm IST), |
اَسوُ سنبت ۲۰۸۲ شاڪي ۱۹۴۷
۰۶ آڪٽوبر ۲۰۲۵ |
۰۷ آڪٽوبر ۲۰۲۵ منگل (اُديـ وِياپنيِ تِٿ) شَرد پوُرنما تِٿ سماپت
(uday-vyapini 15th Tithi Ends 09:18 am IST) |
اَسوُ سنبت ۲۰۸۲ شاڪي ۱۹۴۷
۰۷ آڪٽوبر ۲۰۲۵ |
۲۵ آڪٽوبر ۲۰۲۶ آرتوار شَرد پوُرنما تِٿ شُروع
(15th Tithi starts 11:54 am IST) |
اَسوُ سنبت ۲۰۸۳ شاڪي ۱۹۴۸
۲۵ آڪٽوبر ۲۰۲۶ |
۲۶ آڪٽوبر ۲۰۲۶سوُمر (اُديـ وِياپنيِ تِٿ) شَرد پوُرنما تِٿ سماپت
(udaya vyaapini 15th Tithi Ends 09:42 am IST), |
اَسوُ سنبت ۲۰۸۳ شاڪي ۱۹۴۸
۲۶ آڪٽوبر ۲۰۲۶ |
۱۴ آڪٽوبر ۲۰۲۷ وِرهسپت شَرد پوُرنما تِٿ شُروع
(15th Tithi starts 18:50 pm IST), |
اَسوُ مهنو سنبت ۲۰۸۴ شاڪي ۱۹۴۹
۱۴ آڪٽوبر ۲۰۲۷ |
۱۵ آڪٽوبر ۲۰۲۷ شڪروار
(اُديـ وِياپنيِ تِٿ) شَرد پوُرنما تِٿ سماپت 15th Tithi ends 19:17pm IST) |
اَسوُ مهنو سنبت ۲۰۸۴ شاڪي ۱۹۴۹
۱۵ آڪٽوبر ۲۰۲۷ |
۰۲ آڪٽوبر ۲۰۲۸ سوُمر پوُرنما تِٿ شُروع
(15th Tithi starts 19:34pm IST) |
اَسوُ سنبت ۲۰۸۵ شاڪي ۱۹۵۰
۰۲ آڪٽوبر ۲۰۲۸ |
(اُديـ وِياپنيِ تِٿ) شَرد پوُرنما تِٿ سماپت
۰۳ آڪٽوبر ۲۰۲۸ منگل (15th Tithi Ends 21:55 pm IST), |
اَسوُ سنبت ۲۰۸۵ شاڪي ۱۹۵۰
۰۳ آڪٽوبر ۲۰۲۸ |
۲۱ آڪٽوبر ۲۰۲۹ آرتوار شَرد پوُرنما تِٿ شُروع
(15th Tithi starts 12:32 pm IST), |
اَسوُ سنبت ۲۰۸۶ شاڪي ۱۹۵۱
۲۱ آڪٽوبر ۲۰۲۹ آرتوار |
۲۲ آڪٽوبر ۲۰۲۹ سُومر
(اُديـ وِياپنيِ تِٿ) شَرد پوُرنما تِٿ سماپت (uday-vyaapini 15th Tithi Ends 14:57pm IST), |
اَسوُ سنبت ۲۰۸۶ شاڪي ۱۹۵۱
۲۲ آڪٽوبر ۲۰۲۹ سُومر |
۱۰ آڪٽوبر ۲۰۳۰ وِرهسپت شَرد پوُرنما تِٿ شُروع
(15th Tithi starts 15:40 pm IST |
اَسوُ شُڪل پکش سنبت ۲۰۸۷ شاڪي ۱۹۵۲
۱۰ آڪٽوبر ۲۰۳۰ وِرهسپت |
۱۱ آڪٽوبر ۲۰۳۰ شُڪِروار
(اُديـ وِياپنيِ تِٿ) شَرد پوُرنما تِٿ سماپت (15th Tithi E. 16:16pm IST) |
اَسوُ شُڪل پکش سنبت ۲۰۸۷ شاڪي ۱۹۵۲
۱۱ آڪٽوبر ۲۰۳۰ شُڪِروار |
Refer the above note (*) in the English section article material beneath the table of dates provided for *8/9 i.e. (15th Tithi starts 27:44 – 03 :44 am IST of 9 Oct.), u.v. : udaya vyapini tithi.
جئـ شِرَيِ ڪِرشڻ!
اوم شِرِيِ گؤپيِ ڪِرِشڻآيـ نمه!
اوم شِرِيِ لڪشميِ نمه!
पंडित ईश्वर शर्मा
Ishwar Maharaj – Pandit Ishwar Sharma
Hindu Priest, Hong Kong
Hong Kong Address : P.O.Box 12637, Central, Hong Kong
E-mail: ishwarpooja@hotmail.com
Hong Kong Mobile : 9498 7557
Hindu Community : Ceremonies, rites, and rituals are performed by Ishwar Maharaj – Pandit as and when required for those devotees in need for different poojas and prayers.